जनजातियों की आर्थिक समस्यांऐ और समकालीन चुनौतियां
Keywords:
Economics, Tribal issues, Contemporary challengesAbstract
भारत देश में गोंड और आदिवासी समाज जंगलों में रहकर अपना जीवन यापन करते हैं जिनकी कम से कम आबादी ३ करोड के ऊपर है | 2006 मैं आदिवासियों को आज के हक दिलाने के लिए फॉरेस्ट लॉ पास किया गया | आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में इसकी समीक्षा हुई थी | एन आई आर डी (NIRD) कैंपस में दो दिवसीय इस सरकारी समीक्षा सभा में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उड़ीसा तथा महाराष्ट्र के प्रतिनिधि उपस्थित थे | महाराष्ट्र राज्य से चांदागढ़ (चंद्रपुर) के गोंडराजा डॉ. बिरशाहा आत्राम और राजकुवर विक्रांतशाह आत्राम उपस्थित थे|
आदिवासी जंगलों में रहकर अपना गुजर-बसर करते हैं खेत खलियान करते हैं उन्हें उनकी जमीन के पट्टे भारत सरकार द्वारा देने के लिए और उनका जंगलों पर हक मान्य करने के लिए 2006 का फॉरेस्ट लॉ पर बैठक चल रही थी और उसमें संशोधन कर आदिवासी गोंड के ऊपर होने वाले अत्याचार को खत्म करने के लिए व्यवस्था में परिवर्तन हो रहा था| इस पर अन्य प्रांतों के आदिवासी (विभिन्न) आदिवासियों के मुखिया उपस्थित रहकर सुझाव दे रहे थे आदिवासी घबरा गये| जो अधिकार आदिवासी अन्य जनजातियों के साथ गोंड समुदाय को मिला था वह सरकार से खतरे में पड़ गया|
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